मानसिक अवसाद या डिप्रेशन आधुनिक जीवन शैली, तनाव, तनाव और बीमारियों के कारण से बढ़ती हुई एक आम समस्या है। आयुर्वेद में, अवसाद जड़ी बूटियों, योग और प्राणायाम जैसे विभिन्न उपायों से उपचार किया जाता है। निम्नलिखित हैं कुछ आयुर्वेदिक उपचार जो अवसाद के लिए उपयोगी हो सकते हैं:
- जीवन शैली के बदलाव:
- आयुर्वेदिक घरेलू उपाय एवं कुछ प्रमुख जड़ी बूटियाँ और दवाएं
- योग (Yoga):
- जड़ी बूटियाँ:
- अश्वगंधा (Ashwagandha):
- ब्राह्मी (Brahmi):
- शंखपुष्पी (Shankhpushpi)
- जीरक (Cumin Seed)
- जटामांसी (Jatamansi)
- त्रिफला (Triphla):
- शतावरी (Shatavari):
- च्यवनप्राश (Chyawanprash):
- अशोक (Ashok):
- मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) में मंडूकपर्णी (Mandookparni) का क्या उपयोग है!
- आहार में आवश्यक विटामिंस को जोड़ें
- गंभीर रोगी तुरंत डॉक्टर से सलाह लें
- संतुलित आहार को अपनाएं
- मानसिक अवसाद और आयुर्वेद
- संदर्भ :
जीवन शैली के बदलाव:
मानसिक अवसाद में, शरीर और मन दोनों का संतुलन बिगड़ जाता है। एक स्वस्थ जीवन शैली के साथ, आप खुश और स्वस्थ रहेंगे। इसलिए, रोजाना व्यायाम करें, समय पर खाना खाएं और प्रतिदिन अवधि के लिए विश्राम लें।
अवसाद एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति के मन और शरीर दोनों को प्रभावित करती है। यह मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित रोग है जो आमतौर पर दवाइयों और व्यायाम से उपचार किए जाते हैं।
आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विधि है जो आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करती है। इसलिए, आयुर्वेद में अवसाद के लिए कई विकल्प हैं जो व्यक्ति को इस बीमारी से निपटने में मदद कर सकते हैं
आयुर्वेदिक अवसाद का उपचार करने के लिए, सबसे पहले उपचार की उपलब्धता को जांचा जाना चाहिए। इसलिए, आयुर्वेदिक डॉक्टर के साथ संपर्क करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो अवसाद रोग के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए औषधियों को उपयोग करते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में अवसाद से निपटने oके लिए अनेक उपयोगी आयुर्वेदिक घरेलू उपाय एवं कुछ प्रमुख जड़ी बूटियाँ और दवाएं हैं। इनमें से कुछ का विवरण नीचे दिया जा रहा है :
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आयुर्वेदिक घरेलू उपाय एवं कुछ प्रमुख जड़ी बूटियाँ और दवाएं
योग (Yoga):
योगासन डिप्रेशन में एक महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। डिप्रेशन मानसिक तनाव, चिंता और तनाव का कारण बनता है। योग एक प्राकृतिक तरीका है जिससे आप अपने मन को शांत कर सकते हैं और इसे तनाव और चिंता से मुक्त कर सकते हैं।
योगासन मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। योग के अभ्यास से शरीर के स्वस्थ होने का भाव बढ़ता है जो डिप्रेशन में सुधार करता है। योग अभ्यास से आप अपनी श्वसन प्रक्रिया को बढ़ा सकते हैं जो आपके शरीर को ऊर्जा देता है और आपको तनाव से मुक्त करता है।
उदाहरण के लिए, भ्रामरी प्राणायाम, उत्तानासन, शवासन, बालासन और पश्चिमोत्तानासन डिप्रेशन के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
इसलिए, योगासन एक बहुत ही अच्छा उपाय है जो डिप्रेशन को कम करने में मदद कर सकता है। योग के अभ्यास से आप अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधार सकते हैं जो आपको एक सकारात्मक जीवन जीने में मदद करता है।
यदि आप डिप्रेशन से पीड़ित हैं, तो योगासन का अभ्यास करने से पहले एक विशेषज्ञ योग अध्यापक से परामर्श लेना चाहिए। योगासन का सही तरीके से अभ्यास करने से आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधार करने में मदद मिल सकती है।
जड़ी बूटियाँ:
कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ अवसाद में लाभदायक हो सकती हैं। अश्वगंधा, जीरक, शंखपुष्पी और ब्राह्मी जैसी जड़ी बूटियाँ उपयोगी हो सकती हैं।
अश्वगंधा (Ashwagandha):
अश्वगंधा एक प्राकृतिक उपाय है जो अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से लेने से आपका मूड बेहतर होता है और दिन भर काम करने की क्षमता में सुधार होता है। यह व्यक्ति को थकावट से बचाने में भी मदद करता है। यह संग्रहण एवं धातु उत्पत्ति को बढ़ाती है जो दिमाग की क्षमता एवं मनोवृत्ति को सुधारती है। अश्वगंधा आपकी शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करती है जो आपके दिनभर के दायित्वों के साथ निपटने में मदद करती है।
ब्राह्मी (Brahmi):
यह एक अच्छी मानसिक उत्तेजक है जो अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसे नियमित रूप से लेने से दिमाग की क्षमता और काम करने की क्षमता में सुधार होता है। मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाती है
शंखपुष्पी (Shankhpushpi)
शंखपुष्पी एक जड़ी बूटी है जो चिंता और अवसाद को कम करने में मदद कर सकती है। शंखपुष्पी (Shankhpushpi) – शंखपुष्पी एक बेहतरीन उपाय है जो मानसिक तनाव को कम करता है और सुबह उठने में मदद करता है। यह मस्तिष्क तंत्र को सक्रिय बनाता है जो उत्तेजना एवं उत्साह को बढ़ाता है। इसका सेवन करने से दिमाग की क्षमता भी बढ़ती है।
जीरक (Cumin Seed)
जीरा एक मसाला होता है जो खाने में उपयोग किया जाता है। यह अवसाद से लड़ने में मदद करता है। जीरा आपके पाचन प्रक्रिया को सुधारता है जो आपके शरीर में तनाव कम करता है। जीरक एक जड़ी बूटी है जो अवसाद को कम करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, यह अन्य स्थितियों जैसे चिंता, नींद की कमी आदि को भी दूर करने में मदद कर सकता है। जीरक में पाए जाने वाले उपयोगी तत्वों की वजह से इसके सेवन से मूड और उत्साह में सुधार होता है।
जटामांसी (Jatamansi)
जटामांसी एक प्राकृतिक औषधि है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा में मानसिक रोगों के उपचार में उपयोगी होती है। इसका वैज्ञानिक नाम नशोदा है और यह भारत और नेपाल में पाया जाता है।
जटामांसी में मौजूद जटामांसीण नामक कंपाउंड एक शांतिप्रद तत्व होता है जो तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करता है और मानसिक अवसाद को कम करने में सक्षम होता है। इसके अलावा, जटामांसी में विशिष्ट फ्लैवोनॉइड्स होते हैं जो न्यूरोट्रांसमिटर के स्तर को संतुलित करने में मदद करते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं।
जटामांसी के सेवन से नींद में सुधार होता है, इससे मानसिक तनाव और चिंताओं को कम करने में मदद मिलती है। यह भी देखा गया है कि जटामांसी मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है और डिप्रेशन के लक्षणों को कम कर सकती है।
त्रिफला (Triphla):
त्रिफला (तीन फलों का संयोजन: आमलकी, हरीतकी और बिभीतकी) से मिलकर बना होता है। त्रिफला में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो मस्तिष्क के अंदर जमा हुए विषैले तत्वों को नष्ट करने में मदद करते हैं। यह शरीर में एक अच्छा एंटीऑक्सिडेंट बनाने में मदद करता है जो विषैले तत्वों को नष्ट करता है और इसलिए डिप्रेशन के संबंधित लक्षणों को कम करने में मदद करता है।ya
शतावरी (Shatavari):
शतावरी (शतावरी रेसमोसस) में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण, यह शरीर में जमा हुए विषैले तत्वों को नष्ट करने में मदद करता है जो डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, शतावरी में मौजूद आमिनो एसिड और बी विटामिन के कारण, इसे एक मानसिक स्तंभनशील औषधि माना जाता है।
शतावरी में मौजूद गुणों के अलावा, यह शरीर को शक्ति देने में मदद करता है और अधिक ऊर्जा देने से मानसिक अवसाद से निपटने में मदद करता है।
अतः, शतावरी डिप्रेशन से निपटने में मददगार हो सकता है। हालांकि, इसे डिप्रेशन के इलाज के रूप में लेने से पहले एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
च्यवनप्राश (Chyawanprash):
च्यवनप्राश (विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और फलों से बना एक हर्बल जैम) होता है और च्यवनप्राश एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर के विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। इसमें विटामिन सी, आमला और अन्य आवश्यक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
च्यवनप्राश में मौजूद विटामिन सी रक्त में ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है जिससे मानसिक तनाव और अवसाद कम हो सकते हैं। इसके अलावा, च्यवनप्राश में मौजूद विटामिन सी एंटीऑक्सिडेंट होता है जो शरीर के रक्त में जमा हुए विषैले तत्वों को नष्ट करने में मदद करता है जो डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
च्यवनप्राश में मौजूद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के गुण भी मानसिक अवसाद के उपचार में मददगार हो सकते हैं। इसमें त्रिफला, ब्रह्मी, शंखपुष्पी, जीरक, एलोवेरा आदि शामिल होते हैं जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होते हैं।
अशोक (Ashok):
अशोक एक प्रकार का पेड़ है जो भारत में पाया जाता है। अशोक की छाल और फल का उपयोग अवसाद के उपचार में किया जाता है। यह एक उपयुक्त औषधि है जो मनोदशा को बेहतर बनाने में मदद करती है।
मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) में मंडूकपर्णी (Mandookparni) का क्या उपयोग है!
मंडुकपर्णी (सेंटेला एशियाटिका) एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका परंपरागत रूप से संज्ञानात्मक-बढ़ाने और अवसादरोधी गुणों के लिए उपयोग किया जाता है। कई अध्ययनों ने अवसाद में मांडूकपर्णी के संभावित चिकित्सीय प्रभावों की जांच की है।
जर्नल ऑफ एथ्नोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन ने चूहों में अवसाद और चिंता जैसे व्यवहारों पर मांडूकपर्णी अर्क के प्रभावों का मूल्यांकन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि अर्क ने महत्वपूर्ण अवसादरोधी और चिंता-विरोधी प्रभाव दिखाया, और निष्कर्ष निकाला कि मांडूकपर्णी अवसाद और चिंता विकारों के लिए एक संभावित चिकित्सीय एजेंट हो सकता है।
इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन ने रोगियों में अवसाद के इलाज में मंडूकपर्णी और ब्राह्मी (बाकोपा मोननेरी) के संयोजन की प्रभावकारिता की जांच की। अध्ययन में पाया गया कि संयोजन उपचार अवसाद और चिंता के लक्षणों को कम करने में प्रभावी था, और रोगियों द्वारा अच्छी तरह सहन किया गया था।
मंडुकपर्णी में सक्रिय यौगिक, जैसे कि एशियाटिकोसाइड और एशियाटिक एसिड, मस्तिष्क में न्यूरोप्रोटेक्टिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव पाए गए हैं। माना जाता है कि ये यौगिक न्यूरोट्रांसमीटर की गतिविधि को संशोधित करते हैं और तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार में सुधार करते हैं, जो इसके अवसाद-रोधी प्रभावों में योगदान कर सकते हैं।
हालांकि, अवसाद में मांडूकपर्णी की कार्रवाई के तंत्र को पूरी तरह से समझने और इसकी सुरक्षा और प्रभावकारिता स्थापित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयुर्वेदिक उपचारों का उपयोग एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए, क्योंकि अनुचित उपयोग या खुराक से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
आहार में आवश्यक विटामिंस को जोड़ें
अवसाद से बचने के लिए आप अपने खान-पान को स्वस्थ बनाएं। आहार में विटामिन D, बी कॉम्प्लेक्स, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम, फोलिक एसिड आदि की मात्रा बढ़ाएं। इसके अलावा, आप योग और ध्यान करने से भी अवसाद से बच सकते हैं।
गंभीर रोगी तुरंत डॉक्टर से सलाह लें
दूसरी तरफ अगर अवसाद बहुत गंभीर हो रहा हो तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करके सलाह लेना चाहिए। आपके डॉक्टर आपको दवाओं के साथ साथ आयुर्वेदिक उपचार भी सुझा सकते हैं जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।
अगर आपको लगता है कि आप अवसाद से पीड़ित हो रहे हैं तो आपको देर नहीं करनी चाहिए। आप अपने स्थानीय मानसिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क कर सकते हैं जो आपको आवश्यक सलाह और सहायता प्रदान कर सकते हैं।
संतुलित आहार को अपनाएं
इस तरह के समस्याओं का सबसे बेहतर उपचार हमेशा संतुलित आहार लेना होता है। ज्यादातर लोग उचित संतुलित आहार नहीं लेते हैं और इसलिए उन्हें इन समस्याओं से पीड़ा होती है। आपको नियमित अंतराल में खाने का अभ्यास बनाना चाहिए और अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा स्वस्थ और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।
इस तरह से, अवसाद से निजात पाने के लिए, आप अपने आहार में स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन करें, योग और ध्यान करें और आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग करें। इन सभी उपायों को अपनाकर, आप अवसाद से निजात पा सकते हैं।
मानसिक अवसाद और आयुर्वेद
अवसाद और आयुर्वेद के बीच संबंध बढ़ते जा रहे हैं और कई अध्ययनों ने इसकी वैज्ञानिकता को साबित करने का प्रयास किया है। कुछ अध्ययनों में दिखाया गया है कि आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों का उपयोग अवसाद से निपटने में मददगार हो सकता है।
संदर्भ :
Saxena RC, Singh R, Kumar P, et al. Efficacy of an extract of Ocimum tenuiflorum (Ondansetron) in the prevention of chemotherapy-induced nausea and vomiting: a randomized, double-blind, placebo-controlled trial. Journal of alternative and complementary medicine (New York, NY). 2012;18(6): 575-580. doi:10.1089/acm.2010.0762
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Tripathi P, Tiwari SK, Singh P, Singh TP. Ethnobotany, phytochemistry and pharmacology of Withania somnifera (L.) Dunal: A review. Journal of ethnopharmacology. 2017;197: 56-77. doi:10.1016/j.jep.2016.07.007
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ये अध्ययन शक्तिशाली जड़ी-बूटियों में से कुछ का उल्लेख करते हुए अवसाद से निपटने में उनकी मददगार भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
“Efficacy and safety of Ayurvedic formulations in the management of depression: A systematic review”
Extract: इस समीक्षा लेख ने अवसाद के प्रबंधन के लिए आयुर्वेदिक योगों की प्रभावकारिता और सुरक्षा पर उपलब्ध नैदानिक अध्ययनों का व्यवस्थित विश्लेषण किया। निष्कर्ष बताते हैं कि आयुर्वेदिक हस्तक्षेप, विशेष रूप से हर्बल फॉर्मूलेशन, सीमित प्रतिकूल प्रभावों के साथ, अवसाद के उपचार में संभावित लाभ हो सकते हैं।
“Evaluation of Anti-depressant Like Activity of Selected Medicinal Plants in Ayurveda”
Extract: इस अध्ययन ने विभिन्न व्यवहारिक और जैव रासायनिक परीक्षणों का उपयोग करके कई आयुर्वेदिक औषधीय पौधों के अवसाद-रोधी प्रभावों का मूल्यांकन किया। निष्कर्ष बताते हैं कि अश्वगंधा और ब्राह्मी जैसे कुछ पौधों में संभावित अवसादरोधी गतिविधि हो सकती है और इन्हें पारंपरिक अवसादरोधी दवाओं के प्राकृतिक विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
“Ayurveda and Depression: A Review”
Extract: यह समीक्षा लेख हर्बल उपचार, आहार और जीवन शैली में संशोधन, और विशेष आयुर्वेदिक उपचारों सहित अवसाद के लिए आयुर्वेदिक अवधारणाओं और उपचारों का अवलोकन प्रदान करता है। लेखकों का सुझाव है कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण अवसाद के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प या सहायक उपचार विकल्प प्रदान कर सकते हैं, लेकिन आगे के शोध की आवश्यकता है।
Extract: इस पायलट अध्ययन ने चिंता विकार वाले रोगियों पर सहचरादि तैला तेल का उपयोग करके आयुर्वेदिक मालिश के प्रभावों का मूल्यांकन किया। निष्कर्ष बताते हैं कि चिंता के लक्षणों को कम करने और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आयुर्वेदिक मालिश के संभावित लाभ हो सकते हैं।
Extract: इस नैदानिक अध्ययन ने सामान्यीकृत चिंता विकार के प्रबंधन में एक आयुर्वेदिक पॉलीहर्बल सूत्रीकरण की प्रभावकारिता और सुरक्षा का मूल्यांकन किया। परिणाम बताते हैं कि कम से कम प्रतिकूल प्रभाव के साथ, चिंता के लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आयुर्वेदिक सूत्रीकरण के संभावित लाभ हो सकते हैं।
आयुर्वेद प्रत्येक व्यक्ति की अनूठी जरूरतों और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए अवसाद के इलाज के लिए एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण की सिफारिश करता है। इसलिए, विशिष्ट आयुर्वेदिक उपचारों का विकल्प व्यक्ति के संविधान (प्रकृति), उनके अवसाद के मूल कारण (जैसे वात, पित्त, या कफ असंतुलन), और अन्य प्रासंगिक स्वास्थ्य कारकों जैसे कारकों पर निर्भर करेगा।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयुर्वेदिक उपचारों का उपयोग एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए, क्योंकि अनुचित उपयोग या खुराक से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।