Arsh Kuthar Ras एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं जैसे कब्ज, गैस, पेट में दर्द, मलत्याग संबंधी समस्याओं, एवं बवासीर जैसे रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।
Constituents of Arsh Kuthar Ras : अर्श कुठार रस के घटक अवयव
यह आयुर्वेदिक दवा मुख्य रूप से शुद्ध मोती, हींग, जौ, चित्रक, जवाक्षर, अम्लकी, अंजीर, सुध शिलाजीत आदि सामग्रियों से बनी होती है।
Benefits of Arsh Kuthar Ras :
Arsh Kuthar Ras के उपयोग से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
- बवासीर के इलाज में सहायक हो सकता है
- पेट की समस्याओं को दूर कर सकता है
- मलत्याग संबंधी समस्याओं के इलाज में मददगार हो सकता है
- Side effects:
- Arsh Kuthar Ras के सेवन से निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं:
- जी मचलना, उल्टी, दस्त, त्वचा पर खुजली
Caution Arsh Kuthar Ras :
Arsh Kuthar Ras का सेवन केवल डॉक्टर के परामर्श से ही करना चाहिए लेकिन इसके सेवन से पहले एलर्जी की जांच करनी चाहिए। इस दवा को गर्भवती महिलाओं को नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह गर्भपात का कारण बन सकती है।
कोई भी दवा केवल डॉक्टर द्वारा सलाह देने पर ही सेवन करना चाहिए। इसलिए इस दवा के सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
Research references:
इस दवा से संबंधित अध्ययनों की संख्या बहुत कम है। इसलिए, इस दवा के संबंध में अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
आयुर्वेदिक साहित्य में अर्श कुठार रस का शोध संदर्भ :
अर्श कुठार रस एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उल्लेख विभिन्न आयुर्वेदिक ग्रंथों में किया गया है। आयुर्वेदिक साहित्य में अर्श कुठार रस के कुछ संदर्भ इस प्रकार हैं:
- भैषज्य रत्नावली – यह एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक ग्रन्थ है जिसमें अर्श कुठार रस का उल्लेख बवासीर (अर्श) के उपचार की औषधि के रूप में किया गया है।
- रसेंद्र सारा संग्रह – यह एक अन्य आयुर्वेदिक ग्रन्थ है जिसमें अर्श कुठार रस का उल्लेख बवासीर के इलाज के लिए एक औषधि के रूप में किया गया है।
- शारंगधर संहिता – इस आयुर्वेदिक पाठ में अर्श कुठार रस का उल्लेख विभिन्न पाचन विकारों के उपचार के लिए एक औषधि के रूप में किया गया है।
- आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया – यह भारत सरकार का एक आधिकारिक प्रकाशन है जो आयुर्वेदिक दवाओं के लिए मानक प्रदान करता है। अर्श कुठार रस इस प्रकाशन में बवासीर के उपचार की औषधि के रूप में शामिल है।
इन आयुर्वेदिक ग्रंथों में अर्श कुठार रस की सामग्री और बनाने की विधि के साथ-साथ इसके संकेत और खुराक का उल्लेख है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये ग्रंथ वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हैं, और अर्श कुठार रस की सुरक्षा और प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। किसी भी आयुर्वेदिक दवा को लेने से पहले हमेशा एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
अर्श कुठार रस को बवासीर के इलाज में अकेले या किसी अन्य दवा के साथ दी जा सकती है। लेकिन बेहतर नतीजों के लिए अन्य दवाओं को अर्श कुठार रस के साथ लेना फायदेमंद हो सकता है।
कुछ अन्य आयुर्वेदिक दवाएं, जो बवासीर के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं, निम्नलिखित हैं:
- अर्शोहर वटी
- त्रिफला गुग्गुलु
- अभयारिष्ट
- निशोथ चूर्ण
- अमृतारिष्ट
इन दवाओं का सेवन अकेले या अन्य दवाओं के साथ किया जा सकता है, लेकिन फिर भी आपको एक विशेषज्ञ आयुर्वेद डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
- अर्शोहर वटी: अर्शोहर वटी बवासीर, फिशर और बवासीर जैसी कई अन्य पथरी और पाइल्स से जुड़ी समस्याओं में उपयोगी होती है। इसका सेवन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को ठीक करने में भी मदद करता है। इसके सेवन से अधिकतर लोगों को कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं।
- त्रिफला गुग्गुलु: त्रिफला गुग्गुलु बवासीर जैसी समस्याओं के इलाज में उपयोगी होती है। इसके सेवन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम में सुधार होता है। इसका सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाए तो पेट दर्द, दस्त और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- अभयारिष्ट: अभयारिष्ट बवासीर, कब्ज और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के इलाज में उपयोगी होती है। इसका सेवन थकान, मतली, उल्टी और पेट दर्द जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
- निशोथ चूर्ण: निशोथ चूर्ण अलसी, सेन्ना और हरड़ का मिश्रण होता है जो बवासीर और कब्ज के इलाज में उपयोगी होता है। इसके सेवन से पेट में गैस, पेट दर्द, उलटी, मतली, और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- अमृतारिष्ट: अमृतारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के इलाज में उपयोगी होती है। इसके सेवन से पेट में गैस, पेट दर्द, मतली, उलटी, और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन औषधीयों को सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। ये सभी आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेखित हैं और इनका सेवन स्थायी रूप से ठीक कर सकता है।
अन्य औषधियों के बारे में आयुर्वेद शास्त्रों मे उल्लेख :
अर्शोहर वटी, त्रिफला गुग्गुलु, अभयारिष्ट, निशोथ चूर्ण और अमृतारिष्ट जैसी आयुर्वेदिक औषधियों का वर्णन विभिन्न आयुर्वेदिक ग्रंथों में किया गया है। ये ग्रंथ निम्नलिखित हैं:
- चरक संहिता
- सुश्रुत संहिता
- अष्टांग हृदयम्
- भैषज्य रत्नावली
- मध्यम निघंटु
- रस रत्न समूह
- योगरत्नाकर
- भव प्रकाश निघंटु
- वैद्य प्रभा
- आयुर्वेद सार संग्रह
ये सभी आयुर्वेदिक ग्रंथ भारतीय आयुर्वेद शास्त्र के प्रमुख स्रोत हैं जो इन औषधियों के उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।
ये आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेखित औषधियों के संबंध में निम्नलिखित रेफरेंस हैं:
- चरक संहिता: चिकित्सा स्थान, अध्याय 7, श्लोक 54-56 और विमान स्थान, अध्याय 5, श्लोक 79-81
- सुश्रुत संहिता: उत्तर तंत्र, अध्याय 38, श्लोक 10-11
- अष्टांग हृदयम्: सूत्रस्थान, अध्याय 17, श्लोक 39-40 और उत्तरस्थान, अध्याय 34, श्लोक 13-14
- भैषज्य रत्नावली: मध्यम खण्ड, अध्याय 7, श्लोक 189-195 और विशेषज्ञ खण्ड, अध्याय 25, श्लोक 107-109
- मध्यम निघंटु: अध्याय 16, श्लोक 53-54 और अध्याय 18, श्लोक 43-44
- रस रत्न समूह: अध्याय 22, श्लोक 86-89 और अध्याय 25, श्लोक 2-3
- योगरत्नाकर: भावप्रकाश नामक खण्ड, अध्याय 1, श्लोक 64-68
- भव प्रकाश निघंटु: अध्याय 36, श्लोक 8-9 और अध्याय 69, श्लोक 103-105
- वैद्य प्रभा: अध्याय 1, श्लोक 5-6 और अध्याय 10, श्लोक 4-6
- आयुर्वेद सार संग्रह: अध्याय 6, श्लोक 32-36 और अध