शंखवटी के गुण दोष क्या हैं : शंखवटी के गुण की बात करें तो इसमें कई पोषक तत्व होते हैं जैसे कि प्रोटीन, कैल्शियम, आयोडीन आदि। इसे खाने से शरीर में पोषण की कमी दूर होती है और साथ ही शंखवटी में अनेक औषधीय गुण होते हैं जो विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोगी होते हैं।
हालांकि अभी तक शंखवटी के लाभों के बारे में कुछ विश्वसनीय वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुए हैं, लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में इसका उपयोग दवाइयों के रूप में लंबे समय से हो रहा है। इसका उपयोग जुड़े रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
शंखवटी के अनुसंधान की कमी के बावजूद, आमतौर पर इसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर आदि के उपचार के लिए सलाह दी जाती है। हालांकि, इन सलाहों के लिए अभी वैज्ञानिक समर्थन नहीं है।
लेकिन वैद्यकीय विज्ञान के अनुसार शंखवटी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और खनिजों से भरपूर होने के कारण यह सेहत के लिए फायदेमंद होती है। इसके अलावा, यह गैस्ट्राइटिस जैसी पेट की समस्याओं को भी दूर करने में मदद करती है।
इसे आमतौर पर पोषक पदार्थ के रूप में भी लिया जाता है। आप औषधि के रूप में भी ले सकते हैं, लेकिन इसे डॉक्टर की सलाह के बिना लेना उचित नहीं है।
आयुर्वेदिक शास्त्रों में शंखवटी के गुणों का वर्णन
वसंत लधा, भावप्रकाशिका, रस तंत्र सार और शरङ्गधर संहिता आदि आयुर्वेदिक शास्त्रों में शंखवटी के गुणों का वर्णन किया गया है।
वसंत लधा शास्त्र में शंखवटी को बल्यकारक, श्लेष्मक, कफवातघ्न, पाचन, वातहर, कृमिनाशक और कुष्ठहर विशेषणों से वर्णित किया गया है।
भावप्रकाशिका शास्त्र में शंखवटी को बल्यकारक, रक्तशोधक, रसायन, श्लेष्महर, कफवातहर, पाचन, वृष्य, वातघ्न, कृमिनाशक, दुर्गंधहर, रुचिकर और दीपन विशेषणों से वर्णित किया गया है।
रस तंत्र सार शास्त्र में शंखवटी को दीपन, पाचन, रक्तशोधक, कफवातहर, श्लेष्महर, वृष्य, कृमिनाशक और श्वसनकासविरोधी विशेषणों से वर्णित किया गया है।
शरङ्गधर संहिता शास्त्र में शंखवटी को पाचन, दीपन, कफवातहर, श्लेष्महर, कृमिनाशक, वृष्य, श्वसनकासविरोधी, रक्तशोधक, बल्यकारक और मृत्युनाशक विशेषणों से वर्णित किया गया है।
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शंखवटी के उपयोग से कुछ रोगों का इलाज किया जा सकता है, जैसे:
- उल्टी और दस्त के इलाज में शंखवटी का उपयोग किया जाता है।
- शंखवटी में मौजूद आयोडीन की मात्रा से थायरॉइड ग्रंथियों की समस्याओं में सुधार होता है।
- शंखवटी में मौजूद प्रोटीन और कैल्शियम नसों को मजबूत बनाते हैं जो नसों के दर्द और स्पास्म को कम करते हैं।
- शंखवटी में मौजूद ग्लूकोज रोगियों के रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है।
- शंखवटी के उपयोग से मानसिक तनाव और अस्थमा जैसी समस्याओं में भी लाभ मिलता है।
- शंखवटी के अधिक सेवन से पित्त की समस्या हो सकती है
- इसके अलावा, शंखवटी के सेवन से भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह निम्नलिखित रोगों एवं समस्याओं के लिए उपयोगी होती है:
- सर्दी जुखाम: शंखवटी खासतौर पर बारीक पीसी गई धूल के रूप में सर्दी जुकाम के लिए उपयोगी होती है। इसे दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
- पेट के रोग: शंखवटी अच्छी तरह से पाचन को संतुलित करती है और इसलिए पेट के रोगों के लिए उपयोगी होती है।
- खांसी: शंखवटी में मौजूद मुख्य उपादान एल्युमिनियम सिलिकेट होता है, जो खांसी में राहत देने के लिए उपयोगी होता है।
- उच्च रक्तचाप: शंखवटी में मौजूद पोटेशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- स्त्री संबंधी समस्याएं: शंखवटी में मौजूद विटामिन डी स्त्री संबंधी समस्याओं जैसे मासिक धर्म के दर्द और गर्भाशय की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
- शंखवटी में मौजूद गुणों की वजह से इसका प्रयोग नींद लाने में मददगार होता है। इसलिए, यदि आप किसी भी तरह के नींद की समस्या से पीड़ित हैं तो शंखवटी लेने से फायदा हो सकता है।
- शंखवटी के प्रयोग से पाचन शक्ति में सुधार होता है जिससे खाने का पचन सही तरीके से होता है। इससे पेट संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज, एसिडिटी आदि कम हो सकती हैं।
- शंखवटी में मौजूद गुणों की वजह से यह एक उत्तम श्वास नाली विस्तारक होता है। इससे दमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं कम हो सकती हैं।
- शंखवटी में मौजूद गुणों की वजह से इसका प्रयोग श्वेत प्रदर जैसी महिलाओं की रोगों के उपचार में भी किया जाता ह
शंखवटी का उपयोग कैसे करें
शंखवटी का सेवन करने के लिए, इसे शुद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। शंख को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धो लें। फिर उसे घोल में डालकर आधा घंटे तक भिगो दें। अगले दिन, उसी पानी को उबालकर दूसरे दिन आप शंखवटी का प्रयोग कर सकते हैं।
शंखवटी की सामग्री खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता की जाँच कर लें। शंख के टूटने और छिद्र होने पर इसे खरीदना नहीं चाहिए।
शंखवटी की मात्रा व्यक्ति के वय, स्वास्थ्य अवस्था और रोग के लिए निर्धारित की जाती है। अमूमन दिन में एक से दो बार, 10-20 ग्राम की मात्रा में शंखवटी का सेवन किया जा सकता है। इसे दिन के दोनों समयों में पानी के साथ ले सकते हैं, या फिर दूध में मिलाकर ले सकते हैं।
ध्यान रखें कि शंखवटी का सेवन करने से पहले एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करें। वह आपको सही मात्रा, उपयोग और दोष निरोधक के लिए सलाह देंगे।